Diwali 2020: जानें माँ लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, त्योहार का महत्व और इतिहास
Maa Lakshmi Puja ka shubh muhurat, significance, and history of the Deepawali: दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है. इस शुभ मुहूर्त के समय माँ लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है. छोटी दिवाली और दीपावली एक साथ ही रहेगी. इसके बाद गोवर्धन पूजा और भैया दूज का पर्व मनाया जाएगा.
दिवाली का त्योहार 14 नवम्बर को ही मनाया जाएगा. कार्तिक माह की अमावस्या इस साल 15 नवम्बर को है. ज्योतिषियों के मुताबिक 12 नवम्बर को रात 9 बजकर 30 मिनट से त्रयोदशी प्रारम्भ हो जाएगी और यह 13 नवम्बर की शाम 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. इसके बाद 14 नवम्बर को 1 बजकर 16 मिनट तक चतुर्दशी रहेगी और वहां से अमावस्या लागू हो जाएगी. इस वजह से 14 नवम्बर को ही माँ लक्ष्मी पूजन किया जाएगा और दिवाली भी इस दिन मनाई जाएगी. हालांकि दान और स्नान 15 नवम्बर को ही किये जा सकेंगे.
दिवाली पूजा मुहूर्त (Maa Lakshmi Puja ka shubh muhurat)
दिवाली के लिए इस बार पूजा के लिए शाम में जल्दी ही मुहूर्त बताया गया है. शाम के 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है. इस शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है. इस बार छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली की तिथि एक ही दिन पड़ने को शुभ माना जा रहा है. Diwali 2020: त्यौहार से पहले जान लीजिए ये खास बातें
पूजा की सामग्री (Puja Samagari of Diwali Puja)
चावल, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, चूड़ी, काजल, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े, पेड़ा, मालपुए, इलायची(छोटी), लौंग, इत्र की शीशी, कपूर, केसर, सिंहासन, पीपल, आम और पाकर के पत्ते, औषधि जटामॉसी, शिलाजीत, लक्ष्मीजी की मूर्ति, गणेशजी की मूर्ति, सरस्वती का चित्र, चाँदी का सिक्का, लक्ष्मी-गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, जल कलश, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा,पंच रत्न, दीपक, दीपक के लिए तेल, पान का बीड़ा, श्रीफल,कलम, बही-खाता, स्याही की दवात, पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल), हल्दी की गाँठ, खड़ा धनिया, खील-बताशे, अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र, धूप बत्ती, चंदन आदि।
ऐसे करें लक्ष्मी पूजन (Maa Lakshmi Puja ka shubh muhurat)
स्थिर लक्ष्मीप्राप्त्र्यथं श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्र्यथं ..
सर्वारिष्टनिवृत्तिपूर्वकसर्वाभीष्टफलप्राप्त्र्यथम् आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धर्यथं व्यापारे लाभार्थं च गणपति नवग्रह कलशादि पूजनपूर्वकं श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती लेखनी कुबेरादीनां च पूजनं करिष्ये’
दिवाली का महत्व
रामायण से जुड़ी गाथाओं के अनुसार, त्रेता युग में कार्तिक मास की अमावस्या के दिन माता सीता और लक्ष्मण के साथ भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आए थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर मिठाई बांटी थी। श्रीराम की वापसी की खुशी में हर साल इस दिन दीप जलाकर और मिठाइयां बांटकर उत्सव मनाया जाता है। हालांकि दिवाली के और भी कुछ महत्व है. कहते हैं कि कौरवों से चौसर में हारने के बाद पांडव 14 साल का वनवास भोगकर दिवाली के दिन ही वापस लौटे थे और इस दिन दीपक जलाकर उनका स्वागत किया गया था. दिवाली भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में मनाई जाती है
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